Rumored Buzz on Shodashi
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
Several good beings have worshipped areas of Shodashi. The good sage, Sri Ramakrishna, worshiped Kali throughout his full existence, and at its fruits, he paid homage to Shodashi via his possess wife, Sri Sarada Devi. This illustrates his greatness in observing the divine in all beings, and especially his existence lover.
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
Shodashi Goddess is without doubt one of the dasa Mahavidyas – the ten goddesses of wisdom. Her title signifies that she is definitely the goddess who is often sixteen years aged. Origin of Goddess Shodashi happens following Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
Move 2: Get an image of Mahavidya Shodashi and spot some bouquets before her. Offer you incense sticks to her by lighting precisely the same in front of her picture.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व check here की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।